Pages

Tuesday, 12 August 2014

हार से वह अपनी बिफर गया

हार से वह अपनी  बिफर गया
ताश के पत्तों सा बिखर गया

अभी - अभी इस सड़क से वो
इक  अजनबी सा  गुज़र गया

आज भी ढूंढता हूँ भीड़ में वह
मासूम सा चेहरा किधर गया

रास्ते तो थे तमाम फिर भी,
वह इधर गया न उधर गया

वो इक निगाह प्यार की तेरी
मुकेश फिर से निखार गया

मुकेश इलाहाबादी -------------

No comments:

Post a Comment