आओ प्यारा सा घर बनाएं
फिर फूलों से उसे सजाएं
हो बस्ती से दूर कहीं घर औ
हम सौदा लेने शहर को आएं
दो प्यारे प्यारे फ़ूल खिलें
फूल हँसे और हम मुस्काएं
अपनी छोटी सी क्यारी में
गेंदा और हर श्रृंगार लगाएं
जब भी दुःख सुख आये तो
इक दूजे का साथ निभाएं
मुकेश इलाहाबादी ---------
फिर फूलों से उसे सजाएं
हो बस्ती से दूर कहीं घर औ
हम सौदा लेने शहर को आएं
दो प्यारे प्यारे फ़ूल खिलें
फूल हँसे और हम मुस्काएं
अपनी छोटी सी क्यारी में
गेंदा और हर श्रृंगार लगाएं
जब भी दुःख सुख आये तो
इक दूजे का साथ निभाएं
मुकेश इलाहाबादी ---------
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