पक्के घरों में तुम अपनापन न पाओगे
कच्ची दीवारों का सोंधापन न पाओगे
आशिक़ तो तुमको मिल जाएंगे बहुतेरे
मज़नू सा मगर दीवानापन न पाओगे
कुछ पाओ चाहे न पाओ पर तुम कभी
गरीब इंसान में बेगानापन न पाओगे
नाज़ों आंदज़ वाले देखे होंगे तुमने बहुत
पर मेरे मेहबूब सा बाँकपन न पाओगे
ढूंढोगे तो तमाम खामियां मिल जाएँगी
मुकेश में लेकिन कमीनापन न पाओगे
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
कच्ची दीवारों का सोंधापन न पाओगे
आशिक़ तो तुमको मिल जाएंगे बहुतेरे
मज़नू सा मगर दीवानापन न पाओगे
कुछ पाओ चाहे न पाओ पर तुम कभी
गरीब इंसान में बेगानापन न पाओगे
नाज़ों आंदज़ वाले देखे होंगे तुमने बहुत
पर मेरे मेहबूब सा बाँकपन न पाओगे
ढूंढोगे तो तमाम खामियां मिल जाएँगी
मुकेश में लेकिन कमीनापन न पाओगे
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
No comments:
Post a Comment