सूरज मेरे हिस्से की धूप दे दे
वज़ूद में सर्दपन है तपन दे दे
उसकी यादों में इत्र सा महकूँ
ऐ कँवल थोड़ी सी महक दे दे
वज़ूद मेरा सांवलापन लिए है
ऐ चाँद मुझे भी गोरापन दे दे
तनहा कब तक सफर में रहूँ
इक साथी तो खूबसूरत दे दे
कब तक दर्द से तड़पता रहूँ
तू ही मरहम ऐ मुहब्बत दे दे
मुकेश इलाहाबादी -----------
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