आंसुओं के संग निकल गया
जमा हुआ दर्द निकल गया
तुमको सब कुछ बता दिया
दिल का गुबार निकल गया
वो तन्हा घर में क्या करता
घर से बेवजह निकल गया
सूनी सड़क औ लम्बा रस्ता
फिर भी पैदल निकल गया
वापस लौट के नही आयेगा
मुकेश बहुत दूर निकल गया
मुकेश इलाहाबादी .........
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