पलकों को चूम कर गया
ऑखों मे सपने रख गया
चॉद सितारे उसकी मंजिल
लौट कर आयेगा कह गया
डाल से टूटा हुआ पत्ता था
हवा के संग-संग उड गया
मेरा वजूद छोटा सा तिनका
दरिया के बहाव में बह गया
मुकेश फितरतन शायर था
तमाम ग़ज़लें वह कह गया
मुकेश इलाहाबादी ..........................
ऑखों मे सपने रख गया
चॉद सितारे उसकी मंजिल
लौट कर आयेगा कह गया
डाल से टूटा हुआ पत्ता था
हवा के संग-संग उड गया
मेरा वजूद छोटा सा तिनका
दरिया के बहाव में बह गया
मुकेश फितरतन शायर था
तमाम ग़ज़लें वह कह गया
मुकेश इलाहाबादी ..........................
No comments:
Post a Comment