दिल के अंदर कुछ तो टूटता है
जब जब कोई अपना रूठता है
हमने तो अक्सरहां ये देखा कि
अपना ही अपने को लूटता है
दरिया एहतियात से पार करो
इंसान किनारे आ के डूबता है
हमने लाख जतन किये मगर
पहली मुहब्बत कौन भूलता है
जबतक दिल में वैराग्य न हो
मुकेश मोहमाया कहाँ छूटता है
मुकेश इलाहाबादी -------------
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