Pages

Monday, 12 January 2015

तेरी आखों का काजल बन जाऊं

तेरी आखों का काजल बन जाऊं
गोरे गोरे पैरों की पायल बन जाऊं
तेरे तन मन में झूम झूम के बरसूँ
गर तू कह दे तो बादल बन जाऊं
मेरी पीर हरे गर आकर के तू तो
बिंधके प्रेमबाण से घायल बन जाऊं

है आज भी मेरी चाह यही प्रिये कि
मै तेरा सतरंगी आँचल बन जाऊं

दिखला दे गर तू एक झलक तो
मै भी तेरा प्रेमी पागल बन जाऊं

मुकेश इलाहाबादी --------------

No comments:

Post a Comment