नकाब उसका उलट जाता तो
एक और चॉद निकल आता तो
मै मोम के पर ले कर उडा था
धूपकी आंच से पिघल जाता तो
मै कतरा के निकल आया वर्ना
मुस्कुराके हाथ वह मिलाता तो
अच्छा हुआ मै उससे नही मिला
जख्म फिर से हरा हो जाता तो
तुम फिर दरवाजा बंद कर लेते
मुकेश गर मै लौट भी आता तो
मुकेश इलाहाबादी .....................
एक और चॉद निकल आता तो
मै मोम के पर ले कर उडा था
धूपकी आंच से पिघल जाता तो
मै कतरा के निकल आया वर्ना
मुस्कुराके हाथ वह मिलाता तो
अच्छा हुआ मै उससे नही मिला
जख्म फिर से हरा हो जाता तो
तुम फिर दरवाजा बंद कर लेते
मुकेश गर मै लौट भी आता तो
मुकेश इलाहाबादी .....................
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