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Tuesday, 3 February 2015

चलो आओ पुल बनाया जाए

चलो आओ पुल बनाया जाए
दो किनारों को मिलाया जाए
तुम वहाँ ग़मज़दा मै यहाँ,आ
एक दूजे का ग़म बँटाया जाए
क्यूँ गुम सुम गुम सुम बैठे हो
कुछ दूर टहल ही आया जाए
ईश्क का पाठ सदा नया लगे
आओ फिर से दोहराया जाए
वही वही दिन वही वही बातें
इक दूजे को फिर सुनाया जाए
मुकेश इलाहाबादी ---------

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