दश्त का सफर है
नागों का डर है
चराग़ जला लो
रात का सफर है
सरायं के नाम पे
ये दिले खंडहर है
वीरानियाँ अब तो
शाम- ओ- सहर है
मुकेश है साथ तो
तुम्हे क्या डर है ?
मुकेश इलाहाबादी --
नागों का डर है
चराग़ जला लो
रात का सफर है
सरायं के नाम पे
ये दिले खंडहर है
वीरानियाँ अब तो
शाम- ओ- सहर है
मुकेश है साथ तो
तुम्हे क्या डर है ?
मुकेश इलाहाबादी --
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