पृथ्वी
मुझसे मांग ले
अपने सारे तत्व
अस्थि, मांस - मज्जा
जल,
वापस ले ले
रक्त और कफ़
अग्नि, वापस ले ले
अपना तेज
वायु,
खींच ले अपनी श्वांस
आकाश ले ले अवकाश
तब भी मुझमे जो शेष रहेगा
उसमे भी तुम शामिल रहोगी
आत्म-खण्ड की तरह
शिव-शक्ति की तरह
ओ मेरे प्रिये ,,,,,,
मुकेश इलाहाबादी ------
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