सांझ का अंधेरा घना है
मन मेरा भी अनमना है
मुस्कान रख ली जेब मे
खुल कर हंसना मना है
है खुशी देर से लापता
दुख सीना ताने तना है
रिश्तो मे सर्दपन सही
लहजा तो गुनगुना है
मुकेश अच्छा लिखता है
यह तो मैने भी सुना है
मुकेश इलाहाबादी ------
मन मेरा भी अनमना है
मुस्कान रख ली जेब मे
खुल कर हंसना मना है
है खुशी देर से लापता
दुख सीना ताने तना है
रिश्तो मे सर्दपन सही
लहजा तो गुनगुना है
मुकेश अच्छा लिखता है
यह तो मैने भी सुना है
मुकेश इलाहाबादी ------
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