रोशनी कुछ इस तरह किया जाये
बुझा के चराग़ चाँद उगा दिया जाए
मुहब्बत की आग और भड़काता है
कि चेहरे से नक़ाब हटा दिया जाये
मेरे हाथों से सारी लकीरे मिटा कर
सिर्फ महबूब का नाम लिखा जाए
उसने मेरी मुहब्बत क़ुबूल कर ली
उसके साथ मेरा नाम लिया जाए
किताबे ज़ीस्त में उसका ही नाम हो
मुकेश, बाकी हर्फ़ मिटा दिया जाये
मुकेश इलाहाबादी --------------------
बुझा के चराग़ चाँद उगा दिया जाए
मुहब्बत की आग और भड़काता है
कि चेहरे से नक़ाब हटा दिया जाये
मेरे हाथों से सारी लकीरे मिटा कर
सिर्फ महबूब का नाम लिखा जाए
उसने मेरी मुहब्बत क़ुबूल कर ली
उसके साथ मेरा नाम लिया जाए
किताबे ज़ीस्त में उसका ही नाम हो
मुकेश, बाकी हर्फ़ मिटा दिया जाये
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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