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Thursday, 27 August 2015

गुड़िया

१)

एक
गुड़िया थी, 
जो हंसती थी
बोलती थी 
नाचती थी 
गाती थी 
और 
दुःख में 
रोती थी 
एक दिन 
वह एक राजकुमार के 
प्रेम में पड़ गयी 
और राजकुमार ने उसे 
अपनी उंगली की पोरों से 
हौले हौले 
प्यार से छुआ 
और  छूते ही 
गुड़िया में जान आ गयी 
अब वह पहले से 
ज़्यादा हंसती है 
गाती है 
नाचती है 

२)



गुड़िया रानी 
तो अब भी गुड़िया रानी है 
पर गुड्डा 
गुड्डा तो गुड्डा राजा हो गया है 
गुड्डा अब गुड़िया रानी से 
खेल खेल के ऊब चूका है 
उसे भूल चूका है
और किसी दूसरी 
गुड़िया के प्रेम में पढ़ चूका है 
जिसे वह हौले हौले छू के 
जिन्दा करना चाहता है 
सचमुच की गुड़िया बनाना चाहता है 
इधर  
गुड़िया रानी 
फिर से 
उदास रहने लगी है 
बिन बात रोने 
और हंसने लगी है 
अपने में गुम - सुम रहने लगी है 
कह सकते हो 
गुड़िया तो 
अब भी गुड़िया है 
सचमुच की गुड़िया है 
जो हंसती है 
गाती है 
रोती है 
रो रो के थक जाती है 
तो सो जाती है 
जो सचमुच की गुड़िया है 

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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