तेरा ज़िक्र आते ही मुस्कुरा देता हूँ
दुनिया वाले समझते हैं मै अच्छा हूँ
यूँ तो सिफत मेरी बर्फ की है, मगर
तेरे पास आते ही मै पिघल जाता हूँ
मेरे वज़ूद में पानी की रवानी भी है
पर तेरा संग साथ पा सुलग जाता हूँ
अक्सर मै चुप चुप ही रहा करता हूँ
गुफ्तगू तो मै सिर्फ तुमसे करता हूँ
मै सिर्फ तेरी बातें कहता सुनता हूँ
लोग समझते हैं, मै ग़ज़लें कहता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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