ये और बात आग सा दहकता है
दिल मेरा भी मगर धड़कता है
सूरज की गर्म रोशनी शोख कर
रात चाँद चांदी सा चमकता है
ये किसने बोसा लिया है तेरा ?
चेहरा शर्मो हया से दमकता है
जाने किस चाँद की जुस्तजूं में
आफताब दिन रात भटकता है
दिन भर मेहनत के बाद, साँझ
दर्द मेरी नश -२ से टपकता है
मुकेश इलाहाबादी ---------------
दिल मेरा भी मगर धड़कता है
सूरज की गर्म रोशनी शोख कर
रात चाँद चांदी सा चमकता है
ये किसने बोसा लिया है तेरा ?
चेहरा शर्मो हया से दमकता है
जाने किस चाँद की जुस्तजूं में
आफताब दिन रात भटकता है
दिन भर मेहनत के बाद, साँझ
दर्द मेरी नश -२ से टपकता है
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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