जिस्म से रूह सीने से दिल निकल जाता है
तुझे बेनक़ाब देखूं तो दिल मचल जाता है
संभल - संभल के पाँव तेरे दर पे रखता हूँ
फिर भी जाने क्या बात है फिसल जाता हूँ
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
तुझे बेनक़ाब देखूं तो दिल मचल जाता है
संभल - संभल के पाँव तेरे दर पे रखता हूँ
फिर भी जाने क्या बात है फिसल जाता हूँ
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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