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Sunday, 29 November 2015

या तो दर्द की दवा दे

या  तो दर्द की दवा दे
वरना  ज़हर ही ला दे

मुझे नींद आ जाएगी
कोई तो लोरी सुना दे

बादल हो बरस जाओ
थोड़ी तो प्यास बुझा दे

या ख़ुदा अब तो मुझे
मेरे प्यार से मिला दे

रोज़ -२ याद आऊं मै
इससे बेहतर भुला दे

किताबे ज़ीस्त से  ही
तू  मेरा नाम मिटा दे

आज बहुत रोया हूँ मै
मुकेश तू आके हंसा दे

मुकेश इलाहाबादी ---

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