अँधेरे के ख़िलाफ़
लड़ते हुए
तलवार भांज - भांज कर
अपने को या
फिर अपनों को
ज़ख़्मी करने से बेहतर होता
सूरज का आवाहन करें
और अगर ऐसा नही करते हैं
देख लेना एक दिन हम
अँधेरे से लड़ लड़ कर
एक दिन अँधेरे में
विलीन हो कर
अंतहीन अँधेरे का हिस्सा हो जाएगे
(तब हमारे हाथ में कुछ भी न होगा
न तलवार भांजना और न सूरज लाना )
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
लड़ते हुए
तलवार भांज - भांज कर
अपने को या
फिर अपनों को
ज़ख़्मी करने से बेहतर होता
सूरज का आवाहन करें
और अगर ऐसा नही करते हैं
देख लेना एक दिन हम
अँधेरे से लड़ लड़ कर
एक दिन अँधेरे में
विलीन हो कर
अंतहीन अँधेरे का हिस्सा हो जाएगे
(तब हमारे हाथ में कुछ भी न होगा
न तलवार भांजना और न सूरज लाना )
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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