खुद को मुगालते में रखता हूँ
तुझको मै अपना समझता हूँ
दोस्त - यार बुरा मान जाते हैं
आदतन सच व खरा कहता हूँ
दर्द थकन पांवो में छाले हैं पर
मै हूँ , दिन -रात-चले जाता हूँ
खुदपे गुरूर न आ जाए मुकेश
साथ अपने आईना रखता हूँ
मुकेश इलाहाबादी --------
तुझको मै अपना समझता हूँ
दोस्त - यार बुरा मान जाते हैं
आदतन सच व खरा कहता हूँ
दर्द थकन पांवो में छाले हैं पर
मै हूँ , दिन -रात-चले जाता हूँ
खुदपे गुरूर न आ जाए मुकेश
साथ अपने आईना रखता हूँ
मुकेश इलाहाबादी --------
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