एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday, 30 December 2015
जब अँधेरा घना होता है
जब अँधेरा घना होता है
साया भी जुदा होता है
डाल से बिछड़ के फूल
फिर जाने कहाँ होता है
पास माँ और गुब्बारा हो
खुश तब बच्चा होता है
सावन के अंधे के लिए
चारों तरफ हरा होता है
मुकेश चराग़ के तले तो
हमेशा ही अँधेरा होता है
मुकेश इलाहाबादी -----
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment