तू ज़रा आईना तो देख कमाल हुआ जाता है
तबस्सुम तेरे चेहरे का गुलाब हुआ जाता है
अब तू ख़त लिखे या न लिखे,ग़म नही,तेरा
ये तबस्सुम ही ख़त का जवाब हुआ जाता है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
तबस्सुम तेरे चेहरे का गुलाब हुआ जाता है
अब तू ख़त लिखे या न लिखे,ग़म नही,तेरा
ये तबस्सुम ही ख़त का जवाब हुआ जाता है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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