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Tuesday, 2 February 2016

मसखरे भाई!

मसखरा,
रोता तो हम हँसते
मसखरा
बेवकूफियां करता
तो हम हँसते
मसखरा
ज़ोर ज़ोर से
ताली बजा के
पागलों सा हँसता तो
हम कहकहे लगाते
पर, उस दिन
मसखरा
बहुत उदास दिखा
हमने पूछा
'क्यूँ मसखरे भाई!
आज तक हमने तुम्हे
हँसते देखा है
या फिर रोते देखा है
उदास तो  कभी नहीं देखा
तुम्हारे चेहरे पे ये उदासी क्यूँ ?'
मसखरा, कुछ और उदास हो गया
कहने लगा
दरअसल बात ये है,
आज कल हमारा धंधा
ख़त्म हो गया है,
क्यूँ कि मसखरी
बेवकूफियां
और बेहूदगीयां
अब नेता, मौलवी और धर्म गुरू करने
लगे हैं, लिहाज़ा मेरे पास अब काम ही नहीं बचा
इसी लिए मै उदास हूँ,

यह सुन कर मै भी
उदास हो गया

अब मै और मसखरा दोनों ही उदास हो चुके थे

मुकेश इलाहाबादी ------------------------------


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