एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 8 March 2016
पंख अपने नोच कर
पंख अपने नोच कर
फेंक दिया तोड़ कर
जा रहा हूँ दोस्त मै
शहर तेरा छोड़ कर
रख लिया है, जेब में
चिट्ठी तेरी मोड़ कर
मुकेश इलाहाबादी ---
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