फूलों के जंगल में खो जाऊँ
तुझसे लिपट कर सो जाऊँ
तुम फलक का चाँद बन मैं
स्याह रात की बाहें हो जाऊं
बादल बन बरसूँ छम छम
तन - मन तेरा भिगो जाऊँ
मुकेश इलाहाबादी -----
तुझसे लिपट कर सो जाऊँ
तुम फलक का चाँद बन मैं
स्याह रात की बाहें हो जाऊं
बादल बन बरसूँ छम छम
तन - मन तेरा भिगो जाऊँ
मुकेश इलाहाबादी -----
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