अंधेरी रातों में डूबा शहर देख जाओ
कभी तो आ के मेरा नगर देख जाओ
कोई मंज़िल नहीं फिर भी चल रहे हैं
ऐसा कारवां ऐसा सफ़र देख जाओ
तुम्हारे आ जाने से भी न बचेगी जान
मुकेश एक बार तुम,मगर देख जाओ
मुकेश इलाहाबादी --------------------
कभी तो आ के मेरा नगर देख जाओ
कोई मंज़िल नहीं फिर भी चल रहे हैं
ऐसा कारवां ऐसा सफ़र देख जाओ
तुम्हारे आ जाने से भी न बचेगी जान
मुकेश एक बार तुम,मगर देख जाओ
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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