ये और बात दूर दूर हो के चलता है
चाँद मेरे साथ साथ सफर करता है
शायद सूरज का भी कोई चाँद होगा
तभी वो भी तो मेरी तरह जलता है
बर्फ का हिमालय है ये ज़िगर मेरा
यहाँ दरिया -ऐ-ईश्क़ बहा करता है
शर्मो हया उसे कुछ कहने नही देती
लिहाज़ा वो निगाहों से बात करता है
चिल्लाने से भी यहाँ कुछ नहीं होगा
बहरों का शहर है मुकेश चुप रहता है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
चाँद मेरे साथ साथ सफर करता है
शायद सूरज का भी कोई चाँद होगा
तभी वो भी तो मेरी तरह जलता है
बर्फ का हिमालय है ये ज़िगर मेरा
यहाँ दरिया -ऐ-ईश्क़ बहा करता है
शर्मो हया उसे कुछ कहने नही देती
लिहाज़ा वो निगाहों से बात करता है
चिल्लाने से भी यहाँ कुछ नहीं होगा
बहरों का शहर है मुकेश चुप रहता है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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