Pages

Friday, 24 June 2016

जब तुम चुप रहती हो

जब
तुम चुप रहती हो
अॉर कुछ नही बोलती
या फिर
मे्रे लतीफों पे
मुस्कुराना चाह के भी
नही मुस्कुराती,
या कि खुल के
हँसना चाह के भी नही हँसती
सच तब
ऐसा लगता है
जैसे,
कोई बच्चा जिद्दन
मा की जोद से
नही उतरना चाहता
या कि,
चांद बादलों से
बाहर नही अाना चाहता है
या कोई, पहाड़ी नदी
घाटियों मे ही उमड़ - घुमड़ के
रह जाए
अॉर मैदान मे न उतरे
पर,
तुम मुझे
उस चुप्पी मे भी
बहुत अच्छी लगती हो

सच बहुत प्यारी
लगती हो
तुम
मेरी प्यारी सुमी 

No comments:

Post a Comment