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Friday, 1 July 2016

ऊपर - ऊपर राख दिखेगी

ऊपर - ऊपर  राख दिखेगी
अंदर - अंदर अाग मिलेगी
रफ़्ता - रफ़्ता बढ़ता जा तू
मंज़िल अपने अाप मिलेगी
मुकेश इलाहाबादी -------------

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