Pages

Friday, 5 August 2016

गर कुछ अच्छा लगता है

अच्छी कविता
खुशनुमा शाम
या ,
बादलोंके बीच
अधखिला चाँद
और ,,
रजनीगंधा के
फूलों के अलावा
गर कुछ अच्छा लगता है
तो, वो सिर्फ
और सिर्फ
तुम हो  - सुमी

मुकेश इलाहाबादी ------

No comments:

Post a Comment