अच्छी कविता
खुशनुमा शाम
या ,
बादलोंके बीच
अधखिला चाँद
और ,,
रजनीगंधा के
फूलों के अलावा
गर कुछ अच्छा लगता है
तो, वो सिर्फ
और सिर्फ
तुम हो - सुमी
मुकेश इलाहाबादी ------
खुशनुमा शाम
या ,
बादलोंके बीच
अधखिला चाँद
और ,,
रजनीगंधा के
फूलों के अलावा
गर कुछ अच्छा लगता है
तो, वो सिर्फ
और सिर्फ
तुम हो - सुमी
मुकेश इलाहाबादी ------
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