Pages

Wednesday, 7 September 2016

किसी के दिल को मैं रास आया नहीं

किसी के दिल को मैं रास आया नहीं
ज़िदंगी में मेरी मधुमास आया नहीं

दरिया तक मैं जा कर करता भी क्या
किसी ने मेरी प्यास को जगाया नहीं

सज संवर तो लेता मगर जाता कहाँ
कभी किसी ने मुझको बुलाया नहीं

जाने वो कैसी हिचक थी या डर था
हाले दिल मैंने, उसको बताया नहीं

मुकेश इलाहाबादी -------------------

No comments:

Post a Comment