किसी के दिल को मैं रास आया नहीं
ज़िदंगी में मेरी मधुमास आया नहीं
दरिया तक मैं जा कर करता भी क्या
किसी ने मेरी प्यास को जगाया नहीं
सज संवर तो लेता मगर जाता कहाँ
कभी किसी ने मुझको बुलाया नहीं
जाने वो कैसी हिचक थी या डर था
हाले दिल मैंने, उसको बताया नहीं
मुकेश इलाहाबादी -------------------
ज़िदंगी में मेरी मधुमास आया नहीं
दरिया तक मैं जा कर करता भी क्या
किसी ने मेरी प्यास को जगाया नहीं
सज संवर तो लेता मगर जाता कहाँ
कभी किसी ने मुझको बुलाया नहीं
जाने वो कैसी हिचक थी या डर था
हाले दिल मैंने, उसको बताया नहीं
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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