नागों से हमको भी कटवाया गया
अपनी तरह ज़हरीला बनाया गया
हम भी नशेड़ी हो जाएं, इसी लिए
मज़हब की अफीम चटवाया गया
पहले तो गरीब की आँखें निकाली
फिर हाथों में आईना थमाया गया
जिन हाथों में खिलौने होने चाहिए,
उन मासूमों को खंज़र थमाया गया
जहाँ कल तक धान ऊगा करते थे
उन्ही खेतों में बाजार बनाया गया
मुकेश इलाहाबादी --------------
अपनी तरह ज़हरीला बनाया गया
हम भी नशेड़ी हो जाएं, इसी लिए
मज़हब की अफीम चटवाया गया
पहले तो गरीब की आँखें निकाली
फिर हाथों में आईना थमाया गया
जिन हाथों में खिलौने होने चाहिए,
उन मासूमों को खंज़र थमाया गया
जहाँ कल तक धान ऊगा करते थे
उन्ही खेतों में बाजार बनाया गया
मुकेश इलाहाबादी --------------
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