अक्सर
ऐसा क्यूँ होता है
भीड़ में कोई इक चेहरा
अच्छा लगता है
जिससे,
मिलने, बतियाने को
जी करता है
अक्सर ऐसा क्यूँ होता है
कोई दिल से अच्छा लगता है
और वो ही ,,
मिलते मिलते रह जाता है
जैसे - होठों से कोइ प्याला गिर जाता है
पर, क्यूँ क्यूँ क्यूँ
ऐसा होता है
कोई अपना होते होते रह जाता है ???
मुकेश इलाहाबादी ------------
ऐसा क्यूँ होता है
भीड़ में कोई इक चेहरा
अच्छा लगता है
जिससे,
मिलने, बतियाने को
जी करता है
अक्सर ऐसा क्यूँ होता है
कोई दिल से अच्छा लगता है
और वो ही ,,
मिलते मिलते रह जाता है
जैसे - होठों से कोइ प्याला गिर जाता है
पर, क्यूँ क्यूँ क्यूँ
ऐसा होता है
कोई अपना होते होते रह जाता है ???
मुकेश इलाहाबादी ------------
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