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Friday, 25 November 2016

मेरे मन की माला में तेरे ही नाम के मनके हैं

मेरे मन की माला में तेरे ही नाम के मनके हैं
कौन कमबख्त कहता है हम किसी गैर के हैं
पहले मिल, बैठ, समझ, परख मुझको ढंग से
तब तू भी कहेंगी मुकेश तो है,ज़माने से हट के

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

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