तेरी
मासूमियत
और साफगोई ही तो है
जो, हम तुझपे मरे जाते हैं
वर्ना,
ईश्क़ करने के लिए तो
बहुत से मिल जायेंगे
ज़माने में
सुमी, तुम्ही से
मुकेश इलाहाबादी ------------
मासूमियत
और साफगोई ही तो है
जो, हम तुझपे मरे जाते हैं
वर्ना,
ईश्क़ करने के लिए तो
बहुत से मिल जायेंगे
ज़माने में
सुमी, तुम्ही से
मुकेश इलाहाबादी ------------
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