एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Thursday, 26 January 2017
वक़्त तुम तक आ के ठहर गया हो जैसे
वक़्त
तुम तक आ के
ठहर गया हो जैसे
तुम,
पहले भी प्यारी लगती थी
तुम,
अब भी, प्यारे लगते हो
मुकेश इलाहाबादी --------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment