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Thursday, 23 February 2017

सलीके से मिले तमीज से मिले


सलीके से मिले तमीज से मिले
सभी, झूठ  के लिबास में मिले

हँसे भी सभी, खिलखिलाये भी
वे दिल नहीं,जिस्म ले के मिले

जानता हूँ कोई काम न आएगा
फिर भी इक उम्मीद ले के मिले

वो भी प्यासा हम भी प्यासे थे
हम दोनों नदी के किनारे मिले

निकले तो थे, रोशनी  के लिए
मगर हमें अँधेरे ही अँधेरे मिले

मुकेश इलाहाबादी ------------

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