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Monday, 3 April 2017

सुबह की शुर्मयी धूप

जैसे
कोई मुट्ठी में
रख लेना चाहे है
सुबह की शुर्मयी धूप

बस ऐसे ही
तुम्हारी दूधिया हँसी को
पा लेना चाहता हूँ
हमेशा - हमेशा के लिए

मुकेश इलाहाबादी --------

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