Pages

Thursday, 6 April 2017

जैसे ही चैत में

जैसे
ही चैत में
आम्रकुंजों में आता है बौर
बौरा जाता है मन
हुलस - हुलस जाता है दिल 
बस !
ऐसा ही होता है
जब तुम्हारे आने की आहट आती है
सच सुमी ! ऐसा ही लगता है,
चैत, आते ही.....
मुकेश इलाहाबादी -------------

No comments:

Post a Comment