जैसे
ही चैत में
आम्रकुंजों में आता है बौर
बौरा जाता है मन
हुलस - हुलस जाता है दिल
बस !
ऐसा ही होता है
जब तुम्हारे आने की आहट आती है
ही चैत में
आम्रकुंजों में आता है बौर
बौरा जाता है मन
हुलस - हुलस जाता है दिल
बस !
ऐसा ही होता है
जब तुम्हारे आने की आहट आती है
सच सुमी ! ऐसा ही लगता है,
चैत, आते ही.....
चैत, आते ही.....
मुकेश इलाहाबादी -------------
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