साड़ी ,
के रंग से मैच खाती
तुम्हारे गोल से चेहरे
की गोल सी बिंदी,
छोटी सी
तुम्हारी
दूधिया सी मखमली हंसी
कानो के कुंडल की
झपकती - चमकती परछाईं
चूड़ियों और कंगन की
खनखन
पायल की
छन - छन
और ढेर सारी यादें
तह कर रख ली हैं
एहतियात से
यादों की संदूकची में
जिन्हे,
जब कभी जी उदास होगा
या, कि तेरी याद में हूब - चूब करेगा जी
तब संदूकची खोल देख लिया करूंगा तुझे
और इस संदूकची की चाबी किसी को नहीं दूंगा
किसी को भी नहीं दूंगा -
तेरी यादों की संदूकची की चाबी।
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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