Pages

Thursday, 25 May 2017

कोई, तो अदृश्य नाल है

कोई,
तो अदृश्य नाल है
जिसने जोड़ रक्खा है
हमको तुमको इक दूजे से 
वर्ना, कब के खो गए होते
ज़माने की भीड़ में

मुकेश इलाहाबादी ----

No comments:

Post a Comment