सोचा
एक प्यारी सी कविता लिखूँ
जो चाँद सी प्यारी प्यारी हो
कपास सी
उजली उजली हो
गुलाब सी
महकती महकती हो
रेशम सी
मुलायम - मुलायम हो
और नदी सी छछलाती सी हो
तो बहुत देर सोचने के बाद
फैसला लिया
क्यों न तुम पर कविता लिखी जाए
तो क्यूँ - लिखूँ ??? दोस्त
मुकेश इलाहाबादी ------
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