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Friday, 26 May 2017

तुम्हे क्या मालूम ?

तुम्हे  क्या मालूम ?

रिश्तों
के सूखे पत्तों
के अलाव से
काट रहा हूँ
ज़िंदगी की शेष
सर्द रातें

मुकेश इलाहाबादी ----

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