बेहद
अँधेरा था
उमस थी
घुटन थी
बेचैनी थी
तेरे यादों की खिडकियाँ खोल दी
तेरे नाम की धूप जला दी
अब
धूप है
हवा है
रोशनी है
खुशबू है
अब ! मै काफी शुकून में हूँ
मुकेश इलाहाबादी -----------
अँधेरा था
उमस थी
घुटन थी
बेचैनी थी
तेरे यादों की खिडकियाँ खोल दी
तेरे नाम की धूप जला दी
अब
धूप है
हवा है
रोशनी है
खुशबू है
अब ! मै काफी शुकून में हूँ
मुकेश इलाहाबादी -----------
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