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Thursday, 29 June 2017

तुमसे ही रूठेंगे


तुमसे  ही रूठेंगे
तुमसे ही हँसेंगे

तू  सुन  न  सुन
तुझसे ही बोलेंगे 

तू मिल न मिल
तुझको ही ढूंढेगे

आ जा बारिस में  
हम- तुम भीगेंगे

आ  एक बार फिर
छुपा  छुपी खेलेंगे

तुम हंस के भागो
हम तुमको छू लेंगे

मुकेश इलाहाबादी --

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