अंधेरी रातों में जागता कौन है
मेरे अंदर जगमगाता कौन है
जब भी चाहा ज़ोर- ज़ोर हंसना
हर बार मुझको रुलाता कौन है
तेरे ख़त तेरे तोहफे बहा आया
फिर तेरी याद दिलाता कौन है
कोइ साज़ नहीं साज़िंदे नहीं
कानो में गुनगुनाता कौन है
मुकेश तू ज़माने से ग़मज़दा है
तेरे होंठो पे मुस्कुराता कौन है
मुकेश इलाहाबादी ------------
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