तुम्हारी
तस्वीर किसी भी तरफ से देखो
खूबसूरत ही लगती हो
तुम्हे किसी भी रूप में सोचो
आसमानी परी लगती हो
जज़्बात और ऊर्जा से भरपूर दिखती हो
षड ऋतुओं में बसंत ऋतु हो
ब्रह्माण्ड की तमाम निहारिकाओं में
आकाश गंगा हो
सितारों की भीड़ में शुक्र तारा हो
वर्णमाला के सारे वर्ण मिला के भी
तुम्हारे बारे में सब कुछ नहीं कह पाएंगे
लिहाज़ा इतना ही कहूँगा
तुम सबसे जुदा हो
सब से अलहदा हो
मुकेश इलाहाबादी -----------------
तस्वीर किसी भी तरफ से देखो
खूबसूरत ही लगती हो
तुम्हे किसी भी रूप में सोचो
आसमानी परी लगती हो
जज़्बात और ऊर्जा से भरपूर दिखती हो
षड ऋतुओं में बसंत ऋतु हो
ब्रह्माण्ड की तमाम निहारिकाओं में
आकाश गंगा हो
सितारों की भीड़ में शुक्र तारा हो
वर्णमाला के सारे वर्ण मिला के भी
तुम्हारे बारे में सब कुछ नहीं कह पाएंगे
लिहाज़ा इतना ही कहूँगा
तुम सबसे जुदा हो
सब से अलहदा हो
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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