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Monday, 17 July 2017

हवा फुसफुसाते हुए हौले से बहती है

हवा
फुसफुसाते हुए
हौले से
बहती है

गुलाब की
दो पत्तियां
कांप के रह जाती हैं

हवा मुस्कुरा के बढ़ जाती है
पत्तियां शरमा के सिर झुका लेती हैं

दोनों जान लेते हैं
क्या कुछ  पूछा गया
क्या कुछ कहा गया

मुकेश इलाहाबादी ------

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