बेवज़ह दिल मेरा जलाया न कर
बात बात पे खिलखिलाया न कर
देखती नहीं मै ग़मज़दा ज़माने से
तू ज़ालिम सा मुस्कुराया न कर
गर तुझे मुझसे मुहब्बत नहीं तो
रोज़ रोज़ तू मुझसे मिला न कर
मुझको ये नाज़ो नखरे पसंद नहीं
बात बात पे, प्यार जताया न कर
मुझको न 'मय' पसंद न मैखाना
यूँ आँखों से जाम पिलाया न कर
मुकेश इलाहाबादी --------------
बात बात पे खिलखिलाया न कर
देखती नहीं मै ग़मज़दा ज़माने से
तू ज़ालिम सा मुस्कुराया न कर
गर तुझे मुझसे मुहब्बत नहीं तो
रोज़ रोज़ तू मुझसे मिला न कर
मुझको ये नाज़ो नखरे पसंद नहीं
बात बात पे, प्यार जताया न कर
मुझको न 'मय' पसंद न मैखाना
यूँ आँखों से जाम पिलाया न कर
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment